Avinash Sable Biography: बने ओलंपिक्स में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय ट्रैक एथलीट

Pankaj Pandey
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Avinash Sable Biography: अविनाश साबले (Avinash Sable) – एक नाम जो भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। 16 जुलाई 2023 को पोलैंड के सिलेसिया में आयोजित डायमंड लीग मीट में, साबले ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।

उन्होंने 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में 8 मिनट 11.63 सेकंड का समय निकालकर न केवल छठा स्थान हासिल किया, बल्कि 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय ट्रैक एथलीट भी बन गए। यह उपलब्धि न केवल साबले के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। साबले का सफर आसान नहीं रहा। महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्मे इस युवा ने कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर अपनी प्रतिभा को निखारा। उनकी कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले इस एथलीट ने अपने जुनून और लगन से न केवल राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी है। इस लेख में, हम अविनाश साबले के जीवन और करियर पर एक गहरी नज़र डालेंगे। हम उनके संघर्षों, चुनौतियों और उपलब्धियों के बारे में जानेंगे। साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि कैसे उनका सफर भारतीय खेल जगत के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। 

तो चलिए, इस प्रेरणादायक यात्रा पर निकलते हैं और जानते हैं कि कैसे एक साधारण लड़के ने असाधारण मुकाम हासिल किया।

Overview Table for Avinash Sable 

टॉपिकAvinash Sable Biography
भाषाहिंदी
लेख प्रकारआर्टिकल
वर्ष2024
नामअविनाश साबले
जन्म13 सितम्बर 1994
जन्म स्थानमहाराष्ट्र 
आयु29
कार्यधावक
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अविनाश साबले कौन हैं? (Who is Avinash Sable?)

अविनाश साबले (Avinash Sable), एक भारतीय ट्रैक एथलीट, 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई हो चुके हैं। उन्होंने 3000 मीटर स्टीपलचेज की रेस में सिलेसिया डायमंड लीग मीट में छठे स्थान पर रहने के बाद यह उपलब्धि हासिल की। उनका नाम उनके राष्ट्रीय रिकॉर्ड समय आठ मिनट 11.20 सेकंड से कुछ अधिक, आठ मिनट 11:63 सेकंड के समय के साथ जुड़ा हुआ है, उन्होंने पेरिस ओलंपिक क्वालीफाइंग मार्क आठ मिनट 15 सेकंड को काफी अंतर से पीछे छोड़ दिया।साबले पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले छठे भारतीय और देश के पहले ट्रैक एथलीट है।

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अविनाश साबले का जीवन परिचय (Biography of Avinash Sable)

अविनाश साबले (Avinash Sable) का जन्म महाराष्ट्र (Maharashtra) के एक छोटे से गाँव में हुआ था। बचपन से ही खेलों और शारीरिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले अविनाश को कभी एथलेटिक्स में पेशेवर रूप से आगे बढ़ने का मौका नहीं मिला। लेकिन 2013 में भारतीय सेना में शामिल होने के बाद उन्हें लंबी दूरी की दौड़ में अपनी प्रतिभा का एहसास हुआ।

2018 में जकार्ता एशियन गेम्स में 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में स्वर्ण पदक जीतकर अविनाश ने पहली बार बड़ी सफलता हासिल की। तब से वो लगातार अपना समय सुधारते हुए राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ते रहे हैं। 2021 में पटियाला में फेडरेशन कप में 8:20.20 का समय निकालकर उन्होंने फिर नया कीर्तिमान स्थापित किया। 16 जुलाई 2023 को पोलैंड के सिलेसिया डायमंड लीग में अविनाश ने 8:11.63 का समय लेकर छठा स्थान हासिल किया। हालांकि यह उनके 8:11.20 के राष्ट्रीय रिकॉर्ड से थोड़ा पीछे था, लेकिन इससे उन्होंने 8:15.00 के ओलंपिक क्वालीफाइंग मानक को आसानी से पार कर लिया। 

इस तरह वह 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय ट्रैक एथलीट बन गए। अविनाश की सफलता ने न सिर्फ उन्हें शोहरत दिलाई है बल्कि भारत के कई युवा एथलीटों को अपने सपनों के पीछे दौड़ने की प्रेरणा भी दी है। एक छोटे से गाँव से अंतरराष्ट्रीय मंच तक का उनका सफर मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प की मिसाल है। अविनाश के अलावा अब तक चार भारतीय रेसवॉकर और एक लंबी कूद खिलाड़ी भी पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं।

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अविनाश साबले विकिपीडिया  (Avinash sable wikipedia)

अविनाश मुकुंद साबले (जन्म 13 सितंबर 1994) एक भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट हैं, जो 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में माहिर हैं। उनके पास 8:11.20 का राष्ट्रीय रिकॉर्ड है, जो उन्होंने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में बनाया था , जहाँ उन्होंने रजत पदक जीता था। यह नौवीं बार था जब उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।

साबले का जन्म 13 सितंबर 1994 को महाराष्ट्र के बीड जिले के आष्टी जिले के मांडवा में एक किसान परिवार में हुआ था। छह साल की उम्र से, वह घर और स्कूल के बीच 6 किमी (3.7 मील) की दूरी दौड़कर या पैदल तय करते थे क्योंकि उनके गांव में परिवहन की कोई सुविधा नहीं थी। १२ वीं कक्षा पूरी करने के बाद, वह भारतीय सेना की ५ महार रेजिमेंट में शामिल हो गए, २०१३-२०१४ में सियाचिन ग्लेशियर में , उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान में और उसके बाद २०१५ में सिक्किम में पोस्टिंग हुई उन्होंने ट्रेनर अमरीश कुमार के तहत स्टीपलचेज में जाने से पहले, अपने सहयोगियों के आग्रह पर २०१५ में पहली बार अंतर-सेना क्रॉस कंट्री दौड़ में भाग लिया। साबले, जो अधिक वजन वाले थे, राष्ट्रीय शिविर में शामिल होने से पहले तीन महीनों में २० किग्रा (४४ पाउंड) कम करने में कामयाब रहे, 2018 में, सेबल कोच कुमार के पास वापस चले गए क्योंकि स्नेसारेव की प्रशिक्षण दिनचर्या उन्हें “अनुकूल” नहीं लगी। 

टखने की चोट के कारण 2018 एशियाई खेलों के लिए अर्हता प्राप्त करने में विफल रहने के बाद , साबले ने भुवनेश्वर में 2018 राष्ट्रीय ओपन चैंपियनशिप में 8:29.80 का समय लेकर गोपाल सैनी द्वारा बनाए गए 8:30.88 के 37 साल पुराने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ दिया। उन्होंने मार्च 2019 में पटियाला में फेडरेशन कप में 8:28.94 का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने 2019 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप और 2019 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया। वह दीना राम ( 1991 ) के बाद विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले पुरुष स्टीपलचेज़र बने ।

साबले ने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में 8:11.20 के नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड समय के साथ रजत पदक जीता । यह पहली बार भी था जब केन्या के बाहर के किसी एथलीट ने 1994 के बाद से राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में पदक जीता था। 

अविनाश साबले का परिवार (Family of Avinash Sable)

अविनाश साबले (Avinash Sable) एक भारतीय धावक हैं, जो विशेष रूप से 3000 मीटर स्टीपलचेज़ इवेंट के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म महाराष्ट्र के बीड जिले के मांडवा गाँव में हुआ था। अविनाश का परिवार एक किसान परिवार है।

अविनाश के पिता का नाम मुकुंद साबले है। वह भारतीय सेना में सेवा कर चुके हैं। उनके पिता का सेना में कार्यकाल और उनके अनुशासन का उनके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा है। अविनाश की माँ का नाम वैशाली साबले है। वह एक गृहिणी हैं और परिवार के खेती के कार्यों में भी मदद करती हैं। अविनाश का बचपन कठिनाइयों से भरा रहा है, लेकिन उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया और उनके सपनों को पूरा करने में सहायता की। उनका संघर्ष और मेहनत आज उन्हें एक सफल धावक के रूप में स्थापित कर चुका है।

अविनाश साबले की प्रारंभिक शिक्षा (Primary Education of Avinash Sable)

साबले ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव मांडवा के प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की। वहां की कठिन परिस्थितियों और संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। शिक्षा के साथ-साथ, अविनाश ने भारतीय सेना में भर्ती हो कर अपनी शिक्षा और करियर को नई दिशा दी। भारतीय सेना में सेवा करते हुए, उन्होंने न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक कौशल भी विकसित किया। अविनाश साबले ने सेना में रहते हुए अपने एथलेटिक्स करियर को आगे बढ़ाया। सेना में शामिल होने के बाद उन्हें एथलेटिक्स के लिए प्रोत्साहन मिला और उन्होंने सेना की प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

निष्कर्ष:

साबले (Avinash Sable) का पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करना भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनके निरंतर प्रदर्शनों ने उन्हें इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में अपनी जगह बनाई है, और उम्मीद है कि वे देश का गर्व करेंगे, उनकी संकल्पना और कठिनाई से निपटने की क्षमता ने उन्हें और अन्य भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक ऊचा मानक स्थापित किया है। 

Frequently Asked Questions 

अविनाश साबले ने 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारतीय खिलाड़ीयों में कौन सा स्थान हासिल किया है?

अविनाश साबले (Avinash Sable) ने 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले छठे भारतीय खिलाड़ी बने, और वे पहले पुरुष ट्रैक एथलीट हैं जो इसे हासिल करने में सफल हुए हैं। 

अविनाश साबले ने कौन सी घटना में हिस्सा लेकर 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया?

अविनाश साबले ने सिलेसिया डायमंड लीग के 3000 मीटर स्टीपलचेज इवेंट में छठे स्थान पर रहकर 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

अविनाश साबले के इस प्रदर्शन का क्या महत्व है?

अविनाश साबले का यह प्रदर्शन उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्टीपलचेज दौड़ने वालों की कड़ी में शामिल करता है, और यह भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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दोस्तों मेरा नाम पंकज पांडे है। में एक आर्ट्स का स्टूडेंट हूँ। मेने मेरे पिताजी से एस्ट्रोलॉजी, भविष्यवाणी जैसी चीजे सीखी है। और इस न्यूज़ वेबसाइट पर में राशिफल और वास्तु शास्त्र से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ। मुझे इस तरह की जानकारी लोगों के साथ शेयर करना काफी अच्छा लगता है।

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