Vastu Ke Anusar Ghar Ka Naksha: जानिए कैसा होना चाहिए घर का नक्शा

Pankaj Pandey
13 Min Read

Vastu Ke Anusar Ghar Ka Naksha: आपके घर का नक्शा कैसा है यह काफी मायने रखता है। क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है की आपके घर का नक्शा सही है या गलत है? आपके घर का नक्शा हमेशा वास्तु शास्त्र के अनुसार ही होना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा होने से इसके सकारात्मक परिणाम आपको देखने मिलेंगे, वही अगर आप घर बिना वास्तु शास्त्र को जाने बनाते हो तो इसका काफी नकारात्मक परिणाम आपके जीवन पर पड़ सकता है। क्या आपको पता है कि घर के विभिन्न हिस्सों जैसे मुख्य द्वार, रसोई, शयनकक्ष आदि की सही दिशा और स्थिति क्या होनी चाहिए? अगर नहीं, तो चिंता की कोई बात नहीं है। इस लेख में हम आपको वास्तु शास्त्र के कुछ महत्वपूर्ण नियमों और उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका पालन करके आप अपने घर को एक आदर्श वास्तु-अनुकूल आवास बना सकते हैं। तो आइए, हम साथ मिलकर यह जानने की कोशिश करते हैं कि वास्तु के हिसाब से हमारे घर का नक्शा कैसा होना चाहिए और इसके लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 

यकीन मानिए, इस लेख को पढ़ने के बाद आप अपने घर को एक नई दिशा दे पाएंगे और अपने जीवन में खुशियों को आमंत्रित करेंगें।

वास्तु के अनुसार घर का नक्शा बनवाना क्यों जरूरी है?

vastu ke hisab se ghar ka naksha बनवाना बेहद महत्वपूर्ण होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार के सदस्यों को सुख-समृद्धि मिलती है। वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, घर के विभिन्न हिस्सों को उचित दिशा में रखने से वहां निवास करने वालों के जीवन में सुख, शांति और खुशहाली आती है। इसके अलावा, वास्तु के नियमों का पालन करके बनाया गया घर, उसमें रहने वालों के स्वास्थ्य, करियर और रिश्तों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। वास्तु अनुकूल घर में प्रवेश द्वार, रसोई, शयनकक्ष, पूजा कक्ष आदि का सही दिशा में होना बहुत जरूरी है। इससे घर में धन, यश, कीर्ति, सम्मान और पारिवारिक सौहार्द बना रहता है। अतः घर बनवाते समय वास्तु शास्त्र का पालन अवश्य करना चाहिए।

वास्तु के अनुसार घर का नक्शा क्यों बनवाना चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा बनवाने के निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • सुख-शांति और समृद्धि: वास्तु के नियमों के अनुसार बना घर परिवार के सदस्यों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है। पंचतत्वों का संतुलन बनाकर घर का निर्माण करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  • नकारात्मकता दूर होती है: वास्तु सम्मत घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता। इससे घर में बेचैनी या असामंजस्य की भावना नहीं रहती।
  • धन-संपदा में वृद्धि: वास्तु के अनुसार घर का निर्माण करने से धन-संपदा में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, ईशान कोण में बोरिंग या पंडेरी बनाने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  • करियर में उन्नति: वास्तु मान्य घर में रहने वाले लोगों का करियर उन्नति करता है। अध्ययन कक्ष का निर्माण सही दिशा में करने से शिक्षा और नौकरी में सफलता मिलती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: वास्तु के नियमों का पालन करके बने घर में रहने वाले परिवार के सदस्य स्वस्थ रहते हैं। उदाहरण के लिए, रसोई का निर्माण सही दिशा में करने से पाचन संबंधी बीमारियां नहीं होती।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: अगर वास्तु शास्त्र की माने तो घर का पश्चिम मुखी बनाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो घर में रहने वाले लोगों के जीवन को खुशहाल बनाता है।

वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार

वास्तु शास्त्र, एक प्राचीन भारतीय विद्यानुसार, घर का मुख्य द्वार ऊर्जा, धन और अवसरों का प्रवेश स्थल होता है। इसलिए, सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य को आकर्षित करने के लिए मुख्य द्वार की सही दिशा चुनना महत्वपूर्ण है। वास्तु अनुसार, मुख्य द्वार के लिए सर्वश्रेष्ठ दिशाएँ उत्तर, उत्तर-पूर्व, पश्चिम और पूर्व होती हैं। इसके अलावा, मुख्य द्वार को ऊचा गुणवत्ता वाली लकड़ी से बनाना चाहिए, और यह घर का सबसे बड़ा द्वार होना चाहिए। यह आंतरिक दिशा में खुलना चाहिए और कोई भी विरोधी वस्तु द्वारा अवरुद्ध नहीं होना चाहिए।

घर के पूजा स्थल का नक्शा 

वास्तु शास्त्र, प्राचीन भारतीय वास्तुकला की प्रथा, कहती है कि घर के पूजा स्थल का निर्माण विशिष्ट तरीके से होना चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक विकास सुनिश्चित हो। पूजा स्थल हमेशा घर के उत्तर-पूर्व कोने में स्थित होना चाहिए, जिसे ईशान कोन या ईशान कोना भी कहा जाता है। प्रमुख मूर्ति या छवि को पूजा स्थल में उत्तर-पूर्व दिशा में, पूरब की ओर मुख करके स्थापित करना चाहिए। यह दिशा पवित्र मानी जाती है और इसे देवताओं का निवास स्थान माना जाता है।

घर की रसोई का नक्शा

घर की रसोई किस दिशा में होने चाहिए इसके बारे में भी आपको पता होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, घर की रसोई का स्थलन एवं विन्यास महत्वपूर्ण होता है। यह घर के दक्षिण-पूर्व कोने में होनी चाहिए, जहां अग्नि तत्व विशेष रूप से प्रबल होता है। अगर यह संभव नहीं है, तो उत्तर-पश्चिम कोना भी उपयोगी हो सकता है। रसोई का गैस स्टोव दक्षिण-पूर्व दिशा में, और सिंक उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। रसोई को हमेशा साफ और अव्यवस्था मुक्त रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र की यह जटिल और विविध प्रथा है, और इसे अपनाते समय एक वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना सबसे बेहतर होता है।

वास्तु के अनुसार घर के आंगन का नक्शा 

  • आंगन का स्थान और दिशा: वास्तु के अनुसार, घर का आंगन पूर्व दिशा में होना चाहिए।पूर्व दिशा में आंगन बनवाने से सूरज की रोशनी बनी रहती है, जो घर के लिए अच्छी होती है। अगर जगह की कमी है, तो आप आंगन को घर के बीचों-बीच भी बनवा सकते हैं।
  • सूरज की रोशनी: आंगन को ऐसे निर्माण करना चाहिए कि वह सूरज की उचित रोशनी आने का मार्ग बनाए। सूरज की रोशनी से घर में प्राकृतिक प्रकाश और ऊर्जा का संचार होता है, जो घर के वातावरण को स्वस्थ और शांत बनाता है।
  • घर के अन्य हिस्सों के साथ समन्वय: आंगन घर के अन्य हिस्सों, जैसे कि कमरे, के चारों ओर बनवाए जा सकते हैं। इससे घर के अन्य हिस्सों की सुविधा और कार्यक्षमता को बढ़ावा मिलता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आंगन का निर्माण करते समय घर के अन्य हिस्सों को नकारात्मक प्रभावित न करें।

वास्तु के अनुसार शौचालय एवं स्नान घर का नक्शा

वास्तु के अनुसार, स्नानघर और शौचालय का निर्माण घर की उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में करना शुभ माना जाता है। दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में इन्हें बनाने से निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। 

बाथरूम के अंदर, गीजर को दक्षिण-पूर्व दिशा में और वॉशबेसिन को पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। बाथरूम का दरवाजा उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए और लकड़ी के दरवाजों का उपयोग करना बेहतर होता है। शौचालय का निर्माण दक्षिण या पश्चिम दिशा में करना चाहिए क्योंकि ये दिशाएं अग्नि तत्व से जुड़ी होती हैं जो अपशिष्ट के निष्कासन में मदद करता है। शौचालय का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए और न तो बहुत छोटा न ही बहुत बड़ा होना चाहिए। टॉयलेट सीट और वॉशबेसिन इस तरह से रखे जाने चाहिए कि उपयोगकर्ता का मुंह उत्तर या पूर्व की ओर हो क्योंकि ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह से जुड़ी होती हैं।

वास्तु के अनुसार घर की सीढ़ियों का नक्शा

वास्तु के अनुसार, घर में सीढ़ियाँ दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण में होनी चाहिए। इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है, वास्तु के नियमों के अनुसार, सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए, जैसे -5, 7, 9, 11, 15, 17 आदि। घर का मध्य भाग या ईशान कोण बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए इन जगहों पर सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए।

वास्तु के अनुसार घर के बेडरूम का नक्शा 

वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य शयन कक्ष या मास्टर बेडरूम घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) की ओर होना चाहिए। यदि घर में ऊपरी मंजिल है, तो मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए। सोते समय सिर दीवार से सटाकर और उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए, क्योंकि इससे स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक लाभ और शरीर की थकान दूर होती है। बेडरूम चौकोर होना चाहिए और छत गोल नहीं होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार बेडरूम का रंग ऑफ-व्हाइट, बेबी पिंक या क्रीम होना चाहिए और गहरे रंगों से बचना चाहिए।

वास्तु के अनुसार घर का स्टडी रूम का नक्शा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, एक घर का चयन कक्ष उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना श्रेष्ठ माना जाता है। इसका कारण यह है कि पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा होती है, और यह ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक के रूप में मानी जाती है। यह दिशा ज्ञान प्राप्त करने के लिए उपयुक्त मानी जाती है, और इसलिए इसे चयन कक्ष के लिए आदर्श माना जाता है। इस तरह वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करके, आप अपने घर को सुखद और समृद्ध बना सकते हैं।

इसे भी जरूर पढ़िए: घर में वास्तु दोष होने पर क्या करे

निष्कर्ष 

वास्तु के अनुसार घर का नक्शा बनाकर आप अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता ला सकते हैं। वास्तु के नियमों का पालन करके आप न केवल अपने घर को एक शांत और आरामदायक स्थान बना सकते हैं, बल्कि अपने जीवन के सभी पहलुओं में सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं।

हमारे द्वारा लिखा गया यह विशेष लेख वास्तु शास्त्र और मान्यताओं पर आधारित है, हमारी वेबसाइट इन सभी उपायों की पुष्टि नहीं करती है इसलिए इन सभी उपायों को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें।

Frequently Asked Questions

घर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए?

वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार पूर्व और उत्तर दिशा में होना आपके लिए शुभ माना जायेगा।

पूजा घर के लिए उपयुक्त स्थान कौन सा है?

पूजा घर के लिए उत्तर-पूर्व (ईशान) स्थान उपयुक्त रहेगा।

क्या घर के निर्माण में बदलाव करते समय वास्तु का पालन करना चाहिए ?

हां, नए घर के निर्माण या नवीनीकरण के समय वास्तु के नियमों का पालन किये जाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है,और घर में सकरात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

साथियो उम्मीद है की Vastu ke anusar ghar ka naksha कैसा होना चाहिए इसके बारे में यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आयी है तो हमें कमेंट करके जरूर बताना। 

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दोस्तों मेरा नाम पंकज पांडे है। में एक आर्ट्स का स्टूडेंट हूँ। मेने मेरे पिताजी से एस्ट्रोलॉजी, भविष्यवाणी जैसी चीजे सीखी है। और इस न्यूज़ वेबसाइट पर में राशिफल और वास्तु शास्त्र से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ। मुझे इस तरह की जानकारी लोगों के साथ शेयर करना काफी अच्छा लगता है।

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