Vastu Ke Anusar Mandir Ki Disha: किस दिशा में होना चाहिए आपके घर का मंदिर?

Pankaj Pandey
10 Min Read

Vastu Ke Anusar Mandir Ki Disha: हर घर में पूजा का स्थान होना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह वो पवित्र स्थान है जहाँ हम अपने इष्टदेव से जुड़ते हैं, उनसे मन की बात करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। 

WhatsApp Channel Join Now

लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर में पूजा स्थान बनाने के भी कुछ नियम होते हैं? कहाँ और किस दिशा में होना चाहिए मंदिर? किस सामग्री का बना होना चाहिए? मूर्तियों का मुख किस ओर होना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब जानने से आपकी पूजा और भी प्रभावशाली हो सकती है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, मंदिर की स्थापना करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। सही दिशा, सही स्थान और सही सामग्री का चयन करके ही आप अपने पूजा स्थल को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि किन मुख्य बातों का ध्यान रखकर आप अपने घर में एक शुभ और कल्याणकारी मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। 

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि वास्तु के अनुसार मंदिर कहां और कैसा होना चाहिए, ताकि आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास हो

घर के पूजा मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

घर के पूजा मंदिर का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, पूर्व दिशा सकारात्मक ऊर्जा की दिशा मानी जाती है और इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। “पूर्व दिशा को पवित्र माना जाता है क्योंकि यह सूर्य के उदय होने की दिशा है।” पूजा करते समय भक्त का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए ताकि वह खुले दिल से देवता का स्वागत कर सके। हालाँकि, पूजा के दौरान मूर्ति के सामने सीधे नहीं बैठना चाहिए क्योंकि मूर्ति से निकलने वाली ऊर्जा इंसान के लिए बहुत तीव्र हो सकती है।

WhatsApp Channel Join Now

पूजा मंदिर में मूर्तियों की दिशा क्या होनी चाहिए?

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के पूजा मंदिर में मूर्तियों की दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मूर्तियों का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली को आकर्षित करती हैं। मंदिर को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थापित करना सबसे शुभ माना जाता है। मूर्तियों को जमीन पर नहीं रखना चाहिए, बल्कि एक ऊंची जगह पर स्थापित करना उचित होता है। साथ ही, क्षतिग्रस्त या टूटी हुई मूर्तियों को मंदिर में नहीं रखना चाहिए। इन वास्तु सिद्धांतों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता (Positivity) बनी रहती है।

पूजा मंदिर में मूर्तियों की स्थापना से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

पूजा मंदिर (Puja Mandir)  में मूर्तियों को स्थापित करने से पहले निम्नलिखित 6 महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • मूर्ति का चयन: मंदिर में स्थापित करने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली मूर्ति का चयन करना चाहिए। मूर्ति टूटी-फूटी या क्षतिग्रस्त नहीं होनी चाहिए। मूर्ति को लाल या पीले रंग के कपड़े से ढककर स्थापित करने से देवी-देवताओं की कृपा मिलती है।
  • मूर्ति का आकार: मंदिर के आकार के अनुसार ही मूर्ति का आकार होना चाहिए। बड़े मंदिर में बड़ी मूर्ति और छोटे मंदिर में छोटी मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। मूर्ति का आकार मंदिर के 2/3 भाग से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • मूर्ति की स्थिति: मूर्ति को मंदिर के मध्य भाग में, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्थापित करना चाहिए। मूर्ति के पीछे दीवार होनी चाहिए। मूर्ति को जमीन पर सीधे नहीं रखना चाहिए, बल्कि चौकी या आसन पर स्थापित करना चाहिए।
  • मूर्ति की ऊंचाई: वास्तु के अनुसार पूजा घर की ऊंचाई इतनी होनी चाहिए कि भगवान के पैर और आपके हृदय का स्तर बराबर हो। भगवान का स्थान सर्वोच्च होना चाहिए।
  • मूर्ति की संख्या: मंदिर में विषम संख्या में मूर्तियां स्थापित करनी चाहिए। एक, तीन, पांच, सात आदि मूर्तियों को शुभ माना जाता है। मंदिर में युगल मूर्तियां जैसे राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती आदि को भी स्थापित कर सकते हैं।
  • मूर्ति का अभिषेक: मूर्ति स्थापना से पहले उसका विधिवत अभिषेक करना चाहिए। मूर्ति को गंगाजल, पंचामृत आदि से स्नान कराकर पवित्र करना चाहिए। इसके बाद ही मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है और नियमित पूजा शुरू की जाती है।

इन वास्तु नियमों (Vastu Tips) का पालन करके मंदिर में मूर्तियों को स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

WhatsApp Channel Join Now

पूजा मंदिर में मूर्तियों का मुख किस दिशा में होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के मंदिर (Puja Mandir)  में मूर्तियों का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूर्व दिशा सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होती है और इससे सुख-समृद्धि आती है। पूजा करते समय भक्त को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए ताकि वह देवता का स्वागत जोड़े हाथों से कर सके। साथ ही, भक्त को मूर्ति के सीधे सामने नहीं बैठना चाहिए क्योंकि मूर्ति से निकलने वाली ऊष्मा साधारण व्यक्ति के लिए असहनीय हो सकती है। इसलिए, हनुमान जी की तरह मूर्ति के एक तरफ बैठकर देवता का आशीर्वाद लेना उचित होता है। मंदिर का निर्माण वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार करना चाहिए ताकि नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश न कर सके और घर में रहने वालों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

घर के पूजा मंदिर के वास्तु दोष का निवारण कैसे करें?

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के पूजा मंदिर में वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, पूजा स्थान को घर के ईशान कोण या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो तो उत्तर या पूर्व दिशा में भी मंदिर बनाया जा सकता है। मंदिर को बाथरूम, रसोई या सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए क्योंकि ये स्थान नकारात्मक ऊर्जा के स्रोत माने जाते हैं। मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियों को सही ऊंचाई और दिशा में रखना चाहिए, जिससे भक्त को पूरी मूर्ति दिखाई दे। मंदिर को हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए। टूटी हुई मूर्तियां, फटी हुई धार्मिक पुस्तकें आदि को मंदिर में नहीं रखना चाहिए। इन वास्तु टिप्स का पालन करके आप अपने घर के पूजा मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद को बढ़ावा दे सकते हैं।

निष्कर्ष

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार स्थापित पूजा मंदिर न केवल आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि आपके जीवन में भी खुशहाली और समृद्धि लाता है। इस लेख में दिए गए वास्तु उपायों का पालन करके आप अपने घर में पूजा मंदिर को वास्तु के अनुकूल बना सकते हैं और अपने जीवन में शांति और सकारात्मकता का अनुभव कर सकते हैं। हमारे द्वारा लिखा गया यह विशेष लेख वास्तु शास्त्र और मान्यताओं पर आधारित है, हमारी वेबसाइट इन सभी उपायों की पुष्टि नहीं करती है इसलिए इन सभी उपायों को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें।

WhatsApp Channel Join Now

Frequently Asked Questions

घर में मंदिर के लिए सबसे उपयुक्त दिशा कौन सी है? 

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर के लिए सबसे उपयुक्त दिशा ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा मानी जाती है। इस दिशा में मंदिर बनाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

मंदिर के लिए किस प्रकार की लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए? 

यदि आप लकड़ी से बना मंदिर घर में स्थापित कर रहे हैं, तो हमेशा शीशम या सागौन की लकड़ी से बने मंदिर का ही चुनाव करें। यह सुनिश्चित करें कि लकड़ी अच्छी गुणवत्ता की हो और उसमें दीमक न लगा हो।

मंदिर में मूर्तियां स्थापित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 

मंदिर में मूर्तियां स्थापित करने से पहले लाल या पीले रंग का कपड़ा जरूर बिछाना चाहिए। इससे देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त हो सकती है। साथ ही, मंदिर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और उसमें धूल-मिट्टी जमा न होने दें।

मंदिर की दीवार का रंग कैसा होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र के हिसाब से पीले, हरे या हल्के गुलाबी रंग की दीवार मंदिर के लिए शुभ होती है। हालांकि, ध्यान रखें कि मंदिर की दीवार का रंग एक ही होना चाहिए।

pankaj-profile-image

दोस्तों मेरा नाम पंकज पांडे है। में एक आर्ट्स का स्टूडेंट हूँ। मेने मेरे पिताजी से एस्ट्रोलॉजी, भविष्यवाणी जैसी चीजे सीखी है। और इस न्यूज़ वेबसाइट पर में राशिफल और वास्तु शास्त्र से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ। मुझे इस तरह की जानकारी लोगों के साथ शेयर करना काफी अच्छा लगता है।

Share This Article
Leave a comment