Ram Baboo Biography in Hindi: रामबाबू – एक ऐसा नाम जिसने भारतीय एथलेटिक्स में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। एक साधारण परिवार से निकलकर अपनी मेहनत और लगन के दम पर उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं। खासकर 20 किमी रेसवॉक में उन्होंने अपना लोहा मनवाया है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में भले ही वह पदक से चूक गए हों, लेकिन अब 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए उन्होंने पहले ही क्वालीफाई कर लिया है। रामबाबू का सफर आसान नहीं रहा। गरीब परिवार में जन्मे रामबाबू ने बचपन से ही कई संघर्षों का सामना किया। लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून और देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। कम उम्र से ही उन्होंने एथलेटिक्स में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी।कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से रामबाबू ने धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनानी शुरू की। 20 किमी रेसवॉक में उन्होंने कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किए। फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्होंने कई टूर्नामेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया और पदक जीते।
रामबाबू का जीवन परिचय (Ram Baboo Biography in Hindi) हर उस भारतीय युवा के लिए प्रेरणा है, जो किसी न किसी क्षेत्र में देश का नाम रोशन करना चाहता है। आइए जानते हैं उनके संघर्ष और सफलता के सफर के बारे में विस्तार से…
रामबाबू का जीवन परिचय (Ram Baboo Biography in Hindi)
नाम | राम बाबू |
जन्म | 20 मार्च 1999 |
जन्म स्थान | बहुआरा, सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) |
आयु | 24 वर्ष |
पिता का नाम | छोटेलाल |
माँ का नाम | मीना देवी |
राशि | मीन राशि |
पुरस्कार | राष्ट्रीय एथलीट चैंपियनशिप (2021) में 35 किमी रेस वॉक स्पर्धा में स्वर्ण पदक |
कार्य | भारतीय ट्रैक एथलीट |
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राम बाबू कौन हैं? (Who is Ram Baboo)
राम बाबू भारतीय ट्रैक एथलीट हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था। अपनी प्रारंभिक जिंदगी में उन्होंने विभिन्न कठिनाइयों का सामना किया। एक बेरोजगार शारीरिक शिक्षा स्नातक के रूप में, उन्होंने वाराणसी के एक रेस्तरां में वेटर के रूप में काम किया और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत सड़कों की खुदाई भी की। इस कठिन परिश्रम के बावजूद, राम बाबू ने अपने एथलेटिक करियर को नहीं छोड़ा। उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया और अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर सफलता पाई। राम बाबू की कहानी संघर्ष और संकल्प की मिसाल है, जिसने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्ति बना दिया है।
राम बाबू का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Ram Baboo early life and education)
राम बाबू का जन्म उत्तर प्रदेश के हृदयस्थल में हुआ था, जहां उन्होंने संघर्षों से भरे जीवन का सामना किया। राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने से पहले, वह रोजी-रोटी कमाने के लिए विभिन्न कार्यों में जुटे रहे। एक बेरोजगार शारीरिक शिक्षा स्नातक के रूप में, राम बाबू ने कुछ महीनों तक वाराणसी के एक रेस्तरां में वेटर का काम किया। इसके बाद, उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत सड़कों की खुदाई की। उत्तर प्रदेश में नई सड़कों का निर्माण करने के लिए खुदाई करना उनके लिए अत्यधिक मेहनत का काम था, लेकिन इस कठिन परिश्रम से उन्हें केवल 200 से 300 रुपये ही मिल पाते थे। राम बाबू की यह यात्रा उनके संघर्ष और संकल्प की गाथा है, जो उन्हें राष्ट्रीय खेलों के मंच तक ले आई।
राम बाबू का खेल करियर (Ram Baboo sports career)
2012 के लंदन ओलंपिक में भारतीय एथलीटों की चमचमाती कामयाबी ने राम बाबू को एथलेटिक्स के क्षेत्र में कदम रखने की प्रेरणा दी। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने अपने सपनों की राह में कोई कमी नहीं छोड़ी और कई छोटे-मोटे काम कर अपनी तैयारी जारी रखी। पास के 200 मीटर ट्रैक पर उन्होंने अपने एथलेटिक सफर की शुरुआत की। मूल योजना थी मैराथन की तैयारी, पर समय के साथ उन्होंने रेस वॉकिंग की ओर रुख किया और देखते ही देखते राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा दिया। 2022 से लेकर अब तक राम बाबू ने अपनी रेस वॉकिंग की क्षमता से चार स्पर्धाओं में तीन बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा। पिछले साल गुजरात में, उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में 2 घंटे 36 मिनट 34 सेकंड का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
राम बाबू का परिवार और शादी (Ram Baboo family and marriage)
राम बाबू का परिवार सोनभद्र, उत्तर प्रदेश के बहुआरा गाँव में रहता है। उनका परिवार कृषि मजदूरी करता है, और राम बाबू ने भी अपने करियर की शुरुआत में खेतों में काम किया। उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण जीवन से अपने परिवार का नाम रौशन किया है। अपने करियर के दौरान, उन्होंने एक वेटर के रूप में भी काम किया ताकि वे अपने खेल के सपनों को पूरा कर सकें अगर बात करें रामबाबू के वैवाहिक जीवन की तो रामबाबू अभी अविवाहित हैं।
रामबाबू की प्रमुख उपलब्धियाँ (Major achievements of Rambabu)
- 2022 राष्ट्रीय खेलों: 35 किमी रेस वॉक में राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया।
- एशियाई खेल 2022: मिश्रित 35 किमी रेस वॉक में कांस्य पदक जीता।
- तीन बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड: 2022 के बाद से चार स्पर्धाओं में तीन बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा।
- 2024 पेरिस ओलंपिक: पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए क्वालिफाई किया।
- दैनिक मजदूरी से एथलीट: कठिन आर्थिक परिस्थितियों से उभरकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त की।
रामबाबू के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about Rambabu)
- शुरुआत मैराथन से: उन्होंने अपने एथलेटिक करियर की शुरुआत मैराथन दौड़ की तैयारी से की थी।
- कम आर्थिक साधन: वे अपने खेल के सपनों को पूरा करने के लिए एक वेटर के रूप में भी काम करते थे।
- प्रशिक्षण: उन्होंने छह महीने की ट्रेनिंग मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कॉलेज, सैफई में की।
- प्रेरणा स्रोत: 2012 लंदन ओलंपिक में भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन से प्रेरित हुए।
- गाँव: रामबाबू बहुआरा गाँव, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश में स्थित है।
राम बाबू की सोशल मीडिया प्रोफाइल लिंक (Ram Baboo social media profile links)
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निष्कर्ष
राम बाबू की कहानी संघर्ष और सफलता का प्रतीक है। आर्थिक कठिनाइयों और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उनकी उपलब्धियाँ न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार और देश को भी गौरवान्वित करती हैं। पेरिस ओलंपिक 2024 में उनकी भागीदारी ने एक नई उम्मीद जगाई है, और उनका सफर युवा एथलीटों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
Frequently Asked Questions
उन्होंने बेरोजगारी के समय वाराणसी के एक रेस्तरां में वेटर के रूप में काम किया और मनरेगा के तहत सड़कों की खुदाई की।
2012 के लंदन ओलंपिक में भारतीय एथलीटों की सफलता से प्रेरणा मिली।
उन्होंने 2022 में 2 घंटे 36 मिनट 34 सेकंड का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया।
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