Vastu Ke Anusar Toilet Kaha Hona Chahiye: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो हमारे घरों और कार्यस्थलों में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अधिकतम करने के लिए किया जाता है। इस प्राचीन ज्ञान के अनुसार, हमारे घरों के विभिन्न हिस्सों की स्थिति और दिशा हमारे स्वास्थ्य, संबंधों और समग्र भलाई पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।
टॉयलेट (Toilet) और बाथरूम जैसे स्थान, जिन्हें अक्सर उपेक्षित किया जाता है, वास्तु शास्त्र (Astrology) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन स्थानों की उचित स्थिति न केवल हमारे घरों में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा दे सकती है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी मदद कर सकती है। फिर भी, कई लोग इन महत्वपूर्ण स्थानों के लिए वास्तु के सिद्धांतों को लागू करने में असमर्थ हैं, जिससे उनके घरों और जीवन में अशांति और असंतुलन पैदा हो सकता है। इस लेख में, हम vastu ke anusar toilet kaha hona chahiye और बाथरूम की सही दिशा और स्थान के महत्व पर गहराई से नज़र डालेंगे। हम इन सिद्धांतों को लागू करने के व्यावहारिक तरीकों पर भी चर्चा करेंगे, ताकि आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अधिकतम कर सकें और शांति और संतुलन की भावना को बढ़ावा दे सकें।
तो, चलिए शुरू करते हैं और पता लगाते हैं कि कैसे वास्तु शास्त्र के माध्यम से आप अपने घर को एक खुशहाल और समृद्ध स्थान बना सकते हैं।
वास्तु के अनुसार किस दिशा में होना चाहिए टॉयलेट
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के टॉयलेट (Toilet) और बाथरूम को उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। इन दिशाओं में बनाए गए शौचालय से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और नकारात्मकता दूर रहती है। वहीं, उत्तर-पूर्व दिशा को पवित्र माना जाता है और यहां टॉयलेट का निर्माण वर्जित है। इसके अलावा, टॉयलेट को रसोई या पूजा कक्ष के साथ दीवार साझा नहीं करनी चाहिए। वास्तु के मुताबिक, शौचालय का निर्माण जमीनी स्तर से 1-2 फीट ऊंचा होना चाहिए और इसमें उचित वेंटिलेशन के लिए खिड़कियां होनी चाहिए, जो पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा में खुलें। इन सरल उपायों से आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं।
टॉयलेट बनवाते समय रखें वास्तु शास्त्र का ध्यान
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर का टॉयलेट बनवाते समय निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- टॉयलेट की सही दिशा: वास्तु के अनुसार घर में टॉयलेट का निर्माण उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में करना शुभ माना जाता है। उत्तर या पूर्व दिशा में टॉयलेट बनाने से परिवार की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- मुख्य द्वार और रसोई से दूरी: टॉयलेट का दरवाजा घर के मुख्य द्वार या रसोई के सामने नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
- बाथरूम और टॉयलेट का अलग-अलग होना: वास्तु के अनुसार बाथरूम और टॉयलेट को एक साथ नहीं बनाना चाहिए। बाथरूम पूर्व दिशा में और टॉयलेट पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
- टॉयलेट सीट की दिशा: टॉयलेट सीट (Toilet seat) पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके लगानी चाहिए। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके टॉयलेट सीट लगाने से परेशानियां आ सकती हैं।
- रंग का चयन: टॉयलेट में हल्के रंगों जैसे सफेद, क्रीम या हल्का नीला का इस्तेमाल करना चाहिए। गहरे रंग नकारात्मकता को बढ़ाते हैं।
- स्वच्छता का ध्यान रखना: टॉयलेट को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। गंदगी और बदबू से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है और बीमारियां होने का खतरा बढ़ता है।
- दरवाजे और नल की स्थिति: टॉयलेट का दरवाजा और नल हमेशा सही स्थिति में होना चाहिए। खराब या लीक होते नल और खुला दरवाजा वास्तु दोष पैदा करते हैं।
- पौधों का उपयोग: यदि जगह हो तो टॉयलेट में पौधे लगाना चाहिए। पौधे वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा देते हैं।
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टॉयलेट के नल की दिशा क्या होनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार टॉयलेट का नल उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। दक्षिण या पश्चिम दिशा में नल होने से नकारात्मकता आती है और आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं। टॉयलेट का नल कभी भी दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। इस दिशा को वर्जित माना जाता है। इसके अलावा, नल हमेशा साफ रखना चाहिए। गंदा नल तरक्की में बाधा डालता है। नल को फ्लोर से थोड़ा ऊपर लगाना भी शुभ माना जाता है। कुल मिलाकर, टॉयलेट का नल उत्तर या पूर्व दिशा में रखने से घर में सकारात्मक माहौल बना रहता है और समृद्धि आती है।
शौचालय की टॉयलेट सीट किस दिशा में होनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra), एक प्राचीन भारतीय वास्तुकला और निर्माण का विज्ञान, घरों को प्राकृतिक ऊर्जा के साथ समन्वयन में रखने का उद्देश्य रखता है। शौचालय की सीट के लिए वास्तु शास्त्र के निर्देशानुसार, उपयोगकर्ता का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। ऐसी व्यवस्था परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी देती है। इसके अलावा, टॉयलेट सीट को उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में स्थापित किया जाना चाहिए। उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशाओं में शौचालय का निर्माण करना वास्तु शास्त्र के अनुसार वर्जित है, क्योंकि ये दिशाएं भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी के निवास स्थल मानी जाती हैं।
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वास्तु के अनुसार टॉयलेट का रंग कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर के टॉयलेट Toilet room colour) का रंग हल्के और शांत रखना चाहिए ताकि एक शांत और आरामदायक माहौल बन सके। सफेद, क्रीम या हल्के भूरे रंग जैसे हल्के रंग टॉयलेट के लिए उपयुक्त हैं। ये रंग सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं और शांत वातावरण बनाते हैं। वास्तु के अनुसार, टॉयलेट को हमेशा साफ, हवादार और अव्यवस्थित रखना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। टॉयलेट की दीवारों के लिए हल्के और सुखदायक रंग चुनना सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। लेकिन टॉयलेट को हमेशा साफ और अच्छी तरह से वेंटिलेटेड रखना भी जरूरी है।
Summary
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के टॉयलेट का सही स्थान और उचित निर्माण न केवल सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करता है, बल्कि घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली में भी वृद्धि करता है। इन सरल उपायों का पालन करके आप अपने घर के टॉयलेट को वास्तु के अनुकूल बना सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
Disclaimer: हमारे द्वारा लिखा गया यह विशेष लेख वास्तु शास्त्र और मान्यताओं पर आधारित है, हमारी वेबसाइट इन सभी उपायों की पुष्टि नहीं करती है इसलिए इन सभी उपायों को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें।
Frequently Asked Questions
हां, वास्तु शास्त्र के अनुसार टॉयलेट का दरवाजा हमेशा बंद रखना चाहिए। खुला दरवाजा घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है जो घर के सदस्यों के लिए हानिकारक हो सकता है।
नहीं, वास्तु शास्त्र के अनुसार टॉयलेट को कभी भी उत्तर या पश्चिम दिशा में नहीं बनाना चाहिए। इन दिशाओं में टॉयलेट बनाने से आर्थिक तंगी आ सकती है।
नहीं, वास्तु शास्त्र के अनुसार टॉयलेट को दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में भी नहीं बनाना चाहिए। इन दिशाओं में टॉयलेट बनाने से परिवार के सदस्यों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
नहीं, वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार सीढ़ियों के नीचे टॉयलेट बनाना अशुभ माना जाता है। इससे घर के सदस्यों को स्वास्थ्य समस्याएं, धन हानि और दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
नहीं, टॉयलेट के लिए गड्ढा कभी भी उत्तर-पश्चिम दिशा में नहीं खोदना चाहिए। ऐसा करने से घर में आर्थिक समस्याएं और धन की हानि हो सकती है।
दोस्तों मेरा नाम पंकज पांडे है। में एक आर्ट्स का स्टूडेंट हूँ। मेने मेरे पिताजी से एस्ट्रोलॉजी, भविष्यवाणी जैसी चीजे सीखी है। और इस न्यूज़ वेबसाइट पर में राशिफल और वास्तु शास्त्र से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ। मुझे इस तरह की जानकारी लोगों के साथ शेयर करना काफी अच्छा लगता है।