Lovlina Borgohain Biography in Hindi: लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain)- एक नाम जो भारतीय मुक्केबाजी के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। एक ऐसी लड़की जिसने असम के छोटे से गांव बारोमुखिया से निकलकर अपने अथक प्रयासों और कड़ी मेहनत से विश्व मुक्केबाजी में अपना परचम लहराया। सफर आसान नहीं था – गरीबी, चुनौतियां और बाधाओं से भरा। लेकिन लवलीना ने हार नहीं मानी। अपनी बड़ी बहनों से प्रेरित होकर उसने किशोरावस्था में ही मुक्केबाजी सीखना शुरू कर दिया। और फिर भारतीय मुक्केबाजी के गुरु पदुम बोरो की निगाह उस पर पड़ी। उन्होंने लवलीना की प्रतिभा को पहचाना और उसे अमेच्योर मुक्केबाजी का रास्ता दिखाया। यहीं से शुरू हुआ लवलीना का सपनों भरा सफर।
2012 में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, 2013 में सर्बिया में नेशन वूमेंस जूनियर कप में रजत पदक, और फिर 2017 एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य। लवलीना लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही थी। 2018 और 2019 की विश्व चैंपियनशिप में लगातार दो कांस्य पदक जीतकर उसने अपनी क्लास साबित कर दी। लेकिन असली इम्तिहान अभी बाकी था – टोक्यो ओलंपिक 2020। वहां लवलीना ने न सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज बन गई। लेकिन लवलीना की महत्वाकांक्षा यहीं नहीं थमी। 2023 में उसने एक और उपलब्धि हासिल की – विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक। वह मैरी कॉम के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाली दूसरी भारतीय बनीं। लवलीना का लक्ष्य अब पेरिस ओलंपिक 2024 में स्वर्ण पदक जीतना है। वह पेशेवर मुक्केबाजी में भी अपना हाथ आजमाना चाहती है। लवलीना की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि हर उस लड़की की प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रही है।
आइए, इस लेख में आगे बढ़ते है, और लवलीना बोरगोहेन का जीवन परिचय (Lovlina Borgohain Biography) को करीब से जानते है और समझें कि कैसे एक साधारण लड़की ने असाधारण मुकाम हासिल किया…
लवलीना बोरगोहेन का जीवन परिचय
नाम | लवलीन बोरगोहेन |
आयु | 26 वर्ष |
पिता का नाम | टिकेन बोरगोहेन |
माता का नाम | ममोनी बोरगोहेन |
जन्म | 2 October 1997 |
जन्म स्थान | असम के गोलाघाट जिले में |
शिक्षा | बचोलोर्स डिग्री |
कार्य | मुक्केबाज खिलाड़ी |
पुरस्कार | मुक्केबाजी के लिए अर्जुन पुरस्कार , मेजर ध्यानचंद पुरस्कार |
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लवलीना बोर्गोहेन कौन हैं? Who is Lovlina Borgohain??
लवलीना बोर्गोहेन (Lovlina Borgohain), जन्म 2 अक्टूबर 1997, गोलाघाट, असम, भारतीय मुक्केबाज़ खिलाडी हैं, असम की पहली महिला हैं जो ओलिंपिक खेलों में प्रतिष्ठित हुईं उनका जीवन, जिसमें उन्होंने अपने कठिनाईयों को पार करके खेल के शिखर पर पहुंचने का संघर्ष किया, एक प्रेरणा स्रोत है।
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लवलीना बोर्गोहेन की प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Early life and education of Lovlina Borgohain)
लवलीना बोरगोहेन का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को असम के गोलाघाट जिले के बरमुखिया गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता टिकेन बोरगोहेन एक छोटे व्यवसायी हैं और माता ममोनी बोरगोहेन एक गृहिणी हैं। बचपन से ही लवलीना को खेलों में रुचि थी। उनकी दो बड़ी बहनें लिचा और लिमा भी बॉक्सिंग खेलती थीं, जिनसे प्रेरित होकर लवलीना ने भी बॉक्सिंग की ओर कदम बढ़ाया।
शुरुआत में लवलीना ने मुय थाई किकबॉक्सिंग सीखना शुरू किया। साल 2012 में भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक ट्रायल के दौरान उनकी मुलाकात प्रसिद्ध बॉक्सिंग कोच पदुम बोरो से हुई। पदुम ने लवलीना (Lovlina Borgohain) की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें एमेच्योर बॉक्सिंग में हाथ आजमाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद लवलीना ने गुवाहाटी के नेताजी सुभाष क्षेत्रीय केंद्र में बॉक्सिंग की बारीकियां सीखनी शुरू कीं। साल 2013 में उन्होंने जूनियर नेशनल चैंपियनशिप और सर्बिया में आयोजित जूनियर नेशन कप में रजत पदक जीता। लवलीना ने अपनी स्कूली शिक्षा बरमुखिया हाई स्कूल से पूरी की। उन्होंने बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई की और फिर पूरी तरह से बॉक्सिंग पर ध्यान केंद्रित करने लगीं। लवलीना की सफलता का श्रेय उनके परिवार के साथ-साथ उनके कोच पदुम बोरो को भी जाता है, जिन्होंने उन्हें लगातार प्रोत्साहित और प्रशिक्षित किया। पदुम के मार्गदर्शन में लवलीना ने कड़ी मेहनत की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल कीं। आज लवलीना भारत की चमकती हुई बॉक्सिंग स्टार हैं और युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा हैं।
लवलीना बोरगोहेन का परिवार और शादी (Lovlina Borgohain family and marriage)
लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को असम के गोलाघाट जिले के बरमुखिया गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम टीकेन बोरगोहेन है, जो एक छोटे व्यापारी हैं और उनकी माता का नाम ममोनी बोरगोहेन है, जो एक गृहिणी हैं। लवलीना (Lovlina Borgohain) की दो बड़ी बहनें भी मुक्केबाज़ी करती हैं, जिनके नाम लिचा और लिमा हैं। उनकी बहनों ने ही लवलीना को मुक्केबाज़ी की ओर प्रेरित किया। लवलीना के परिवार ने आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उनके सपनों को पूरा करने में हमेशा उनका साथ दिया। विशेषकर उनके पिता ने लवलीना को वित्तीय और भावनात्मक रूप से हर संभव मदद दी।
लवलीना बोरगोहेन का करियर Lovlina Borgohain career
लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain), एक भारतीय बॉक्सर(Indian Boxer) हैं, जिन्होंने महिला बॉक्सिंग को भारत में नई ऊचाईयों पर पहुँचाया है। उन्होंने 1997 में असम के गोलाघाट जिले के बरोमुखिया गांव में जन्म लिया और अपनी दो बड़ी बहनों, लिचा और लीमा के प्रेरणा से बचपन से ही बॉक्सिंग में रुचि दिखाई।
2012 में उन्होंने अपनी बॉक्सिंग प्रशिक्षण शुरू की और जब उन्होंने पदुम बोरो, एक पूर्व भारतीय बॉक्सिंग कोच, से मिला, उनका करियर नयी दिशा में बढ़ा। उनकी पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत 2017 में एशियाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के साथ आई और फिर 2018 में एशियाई खेलों में उन्होंने एक और ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2021 में टोक्यो ओलंपिक में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि आई जहां उन्होंने महिला वेल्टरवेट श्रेणी में ब्रॉन्ज मेडल जीता यह जीत उन्हें मैरी कॉम और विजेंदर सिंह के बाद सिर्फ तीसरे भारतीय बॉक्सर बनाती है जिन्होंने ओलंपिक मेडल जीता। ओलंपिक के बाद, लवलीना ने अपनी जीत की लहर को जारी रखते हुए 2023 में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मिडिलवेट श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता। इस जीत के साथ वह वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बॉक्सर बनी। वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में लवलीना की सफलता ने उन्हें 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए योग्य बनाया उन्होंने पेरिस ओलंपिक (Paris Olympic 2024) में स्वर्ण पदक जीतने की इच्छा जताई है और उसी के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।
लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) एक प्रतिभाशाली बॉक्सर हैं जिन्होंने भारतीय महिला बॉक्सिंग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी एशियाई चैंपियनशिप, एशियाई खेल, और ओलंपिक खेलों में उपलब्धियों ने भारत की कई युवा लड़कियों को बॉक्सिंग करने के लिए प्रेरित किया है। पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की उनकी दृष्टि के साथ, लवलीना अपनी कठिनाईयों पर विजय प्राप्त करती हुई और भारत को गर्व महसूस करवाती हुई दिखाई देती हैं।
लवलीना बोरगोहेन की उपलब्धियां (Achievement of Lovlina Borgohain)
- टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक: लवलीना ने वेल्टरवेट (69 किग्रा) वर्ग में कांस्य पदक जीता। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की तीसरी महिला मुक्केबाज बनीं। उन्होंने सेमीफाइनल में तुर्की की बुसेनाज़ सुरमेनेली से हारने के बाद कांस्य पदक हासिल किया।
- विश्व चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक: लवलीना ने मिडिलवेट (75 किग्रा) श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने फाइनल में तुर्की की बुसेनाज़ सुरमेनेली को हराया।
- एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक: उन्होंने 2017 और 2022 एशियाई चैंपियनशिप में वेल्टरवेट वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
- राष्ट्रमंडल खेलों 2018 में रजत पदक: लवलीना ने वेल्टरवेट श्रेणी में रजत पदक अपने नाम किया। हालांकि वह क्वार्टर फाइनल में ब्रिटेन की सैंडी रजन से हार गईं, जिन्होंने बाद में स्वर्ण पदक जीता।
- अर्जुन पुरस्कार 2020: लवलीना को उनकी उपलब्धियों के लिए भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह असम की छठी खिलाड़ी बनीं जिन्हें यह सम्मान मिला।
लवलीना बोरगोहेन के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about Lovlina Borgohain)
- लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) का जन्म असम (Assam) के गोलाघाट जिले के एक छोटे से गाँव बड़ा मुखिया में हुआ था। उनके पिता टिकेन एक छोटे व्यवसायी हैं और माँ ममोनी गृहिणी हैं। शुरुआती दिनों में बोरगोहेन परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके पिता ने लवलीना के सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की।
- लवलीना (Lovlina Borgohain) और उनकी जुड़वा बहनों लीमा और लीचा को शुरू में किक-बॉक्सिंग के लिए प्रशिक्षित किया गया था। उनकी बहनों ने राष्ट्रीय स्तर पर किक-बॉक्सिंग में प्रतिस्पर्धा की, लेकिन बाद में इस खेल में करियर नहीं बनाया। वहीं लवलीना ने बॉक्सिंग की ओर रुख किया।
- लवलीना ने पहली बार अपने स्कूल बारपाथर गर्ल्स हाई स्कूल में SAI के ट्रायल के दौरान अपना बॉक्सिंग कौशल दिखाया। वहां कोच पदुम बोरो की नजर उन पर पड़ी और 2012 में उन्होंने लवलीना को प्रशिक्षित करना शुरू किया। बाद में लवलीना ने भारत के मुख्य महिला बॉक्सिंग कोच शिव सिंह से ट्रेनिंग ली।
- फरवरी 2018 में इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक जीतने के बाद लवलीना का करियर तेजी से आगे बढ़ा। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों 2018 के लिए भारतीय टीम में जगह बनाई। इससे पहले नवंबर 2017 में वियतनाम में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप और जून 2017 में अस्ताना में प्रेसिडेंट कप में उन्होंने कांस्य पदक जीते थे।
निष्कर्ष
लवलीना (Lovlina Borgohain) ने अपनी सख्त मेहनत और समर्पण के बल पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने को साबित किया है। उनकी उपलब्धियों ने असम और पूरे भारत की युवा लड़कियों को बॉक्सिंग को अपनाने और अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए प्रेरित किया है, उनकी यात्रा ने साबित किया है कि समर्पण और कठिनाईयों का सामना करने की शक्ति से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
Frequently Asked Questions
लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को असम के गोलाघाट जिले के बारोमुखिया गांव में हुआ था।
टोक्यो 2020 ओलंपिक में लवलीना बोरगोहेन ने महिला वेल्टरवेट वर्ग (69 किग्रा) में कांस्य पदक जीता। वह ओलंपिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज बनीं। सेमीफाइनल में उन्हें तुर्की की विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली से हार का सामना करना पड़ा था।
लवलीना बोरगोहेन ने साल 2023 में नई दिल्ली में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में महिला मिडिलवेट (75 किग्रा) डिवीज़न में स्वर्ण पदक जीतकर विश्व चैंपियन का खिताब हासिल किया।
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